Wednesday, January 19, 2011

सच की तलाश

सच की तलाश, सच की खोज यानी सत्यान्वेषण। हर व्यक्ति के अन्दर-बाहर यह तलाश चल रही है, उसे पता हो- न हो। हर व्यक्ति के अंदर की तड़प, उसके चित्त की बेचैनी के मूल में यही तलाश है। यह एक अस्तित्वगत खोज है। आप इस खोज के बिना नहीं हो सकते, क्योंकि आप चेतन हैं। यह तलाश आपकी चेतना के साथ ही आपको मिली है। अध्यात्म कहता है कि यह तलाश तभी पूरी होगी, जब व्यक्ति मिटेगा और परमात्मा प्रकट होगा। फिर कोई तड़प, बेचैनी और अशांति नहीं होगी। आनंद होगा, शांति होगी।

ब्लौगिंग की दुनिया में, मैं अपने सफ़र की शुरुआत करता हूँ। स्वयं की खोज, जगत की खोज, अस्तित्व की खोज, सत्य की खोज। यह खोज समग्र है, कोई भी विषय अछूता नहीं है। व्यक्ति, समाज, राष्ट्र, विश्व; स्थिति, घटना; अतीत, वर्तमान, भविष्य; जड़-चेतन; व्यक्ति के मन, क्रिया, व्यवहार; इन सबके भीतरी-बाहरी सत्य की खोज। हर पक्ष, हर पहलू, हर दृष्टिकोण से सच तक पहुँचने की आशा।

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